غزل
رات گئے جب تم نہ آئے
اَپنے یقیں پر ہم پچھتائے
دل کا چمن تھا اُجڑا اُجڑا
تم نے آ کر پھول کھِلائے
جِن کے لئے یہ حال ہوا ہے
مدّت گزری یاد نہ آئے
کوئی کہاں تک صَدمے جھیلے
کوئی کہاں تک پیار نبھائے
نکلی آہ جو میرے دل سے
ناممکن ہے رنگ نہ لائے
سلیمان صدیقی
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ग़ज़ल
रात गये जब तुम न आये
अपने यक़ीं पर हम पछताये
अपने यक़ीं पर हम पछताये
दिल का चमन था उजड़ा उजड़ा
तुमने आ कर फूल खिलाये
तुमने आ कर फूल खिलाये
जिन के लिए ये हाल हुआ है
मुद्दत गुज़री याद न आये
मुद्दत गुज़री याद न आये
कोई कहाँ तक सदमे झेले
कोई कहाँ तक प्यार निभाये
कोई कहाँ तक प्यार निभाये
निकली आह जो मेरे दिल से
ना-मुमकिन है रंग न लाये
ना-मुमकिन है रंग न लाये
सुलेमान सिद्दीक़ी
Ghazal by Lucknow Poet Suleman Siddiqui |
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